Description: Hum Sab Abhinna Hain – हम सब अभिन्न हैं, Hindi passage about equality, humanity, and world family.
Summary: हम सभी मनुष्य एक विश्व-परिवार के सदस्य हैं। जाति-पाँति के भेदभाव केवल अशिक्षा और असभ्यता की निशानी हैं।
Passage:
कहा जाता है कि मनुष्य विवेकशील प्राणी है। यदि वह सचमुच विवेकशील होता तो परस्पर भेदभाव न रखता। हमारी विवेकहीनता इस बात से प्रकट होती है कि हम परस्पर झगड़ते हैं और एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते। हम भूल गए हैं कि हम सब मनुष्य हैं। हमें इस बात का भी स्मरण नहीं रह गया है कि हम सब एक ही विश्व-परिवार के सदस्य हैं। यहाँ न तो कोई बड़ा है और न छोटा। जाति-पाँति के झगड़े असभ्यों में हुआ करते हैं। वह शिक्षा किस काम की जो इतना भी न बतलाए कि हम सब अभिन्न हैं।